Tuesday, December 6, 2011

मेरी जब याद आये तो चले आना..

महामहिम भुत-पूर्व राष्ट्रपति श्री अब्दुल कलाम आजाद द्वारा कथित अमृततुल्य वचन

“प्यार करने के लिए ये जिन्दगी कितनी छोटी है,
पता नहीं लोग नफरत के लिए कहाँ से वक्त निकाल लेते है.”

कृपया मेरे द्वारा रचित निम्नलिखित कविता पर अपने विचार लिख कर मुझे अनुग्रहित करें ..




मेरी जब याद आये तो चले आना..


मेरी जब याद आये तो चले आना
जिक्र जब हो बस हमारा हो जह़न तक
और आह निकले चले आना..
मेरी जब याद आये तो चले आना ....

कतरा भी वो कतरा क्या जो दरिया में फनॉ ना हो पाये,
मोहब्बत क्या मोहब्बत जो जिगर के पार ना हो पाये,
सब्र जब बेसब्र हो जाये चले आना..
मेरी जब याद आये तो चले आना ....

मुझको मंजुर है कि तेरा दीदार ना हो पाये,
तुझको पाने का अगर हक है तो बस मेरा हो,
टुकड़ों में तुझे पाने की तम्मना नहीं दिल को,
चाहे फिर खुदा से क्यों ना वैर हो जाये....
मेरी जब याद आये तो चले आना ....

मरहम की जुस्तजू में क्यों ये वक्त बर्बाद करना,
कि दर्द का एहसास ना कर पाऊँ,
बयाँ क्यूँ करें जुबाँ, हाले दिल अपना,
निगाहें जो तुम पढ़ नहीं पाये....
मेरी जब याद आये तो चले आना ....


- राकेश झा
GGS Indraprastha University
New Delhi