Wednesday, December 17, 2014

पाक दिलों का कब्रिस्तान – पाकिस्तान



My tribute to the sacrifices of innocent...

पाक दिलों का कब्रिस्तान – पाकिस्तान

कैसी ये जंग मजहबों की, कैसे ये बात इस्लाम के बुलंदी की,
खुदा के बन्दों ने खुद खुदा की इज्जत लूटी है.

क्यों खुदा की खुदाई का असर न रहा, क्यों माँ की दुआएं बेजान रह गयी.
आवाक रह गए फ़रिश्ते, लोहे की गोलियां मासूम जिश्मों के लहू पी गयी,

ये जुर्म गुनाहों के अब तुम्हारे ना बक्शे जायेंगे,
ये सिसकियाँ, चिंगारियां, और बढ़ती ये आग की लपटें तेरा भी सब कुछ जलाएंगे

आसमाँ  आग बरसाएगी, मौत के सौदागरों तुझे मौत को तरसाएगी,
जिसने तुम्हे जना  होगा, अपने कोख को हर पल कोसती होगी,

दर्द का कोई मजहब, धर्म नहीं होता,
जिसका अपना हो कोई, वो बेघर नहीं होता,

आओ पाकिस्तान तुझे दिल से लगायेगें,
भुला कर सारी नफरत , कातिलों से हर हिसाब ले लेंगे.

Written By – Rakesh Jha.