Friday, October 2, 2009

आभार

प्रिय दोस्तों,
आपसबों का आभार वयक्त करता हूँ, आपके शब्दों ने मुझे नयी ऊर्जा दी है.
वक़्त की कमी बहुत खलती है, पर आपके करीब आने को मेरी तम्मना मुश्ताक है,

अपनी नयी रचना - 'मुझे तनहा ही जीने दो' जल्द ही प्रकाशित करूंगा..

धन्यवाद..
राकेश झा

2 comments:

  1. bahut achcha blog lag aapka.. nayi rachna ki prteeksha hai.........

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  2. waiting for u next blast poem ...........

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